गंगा नदी डॉल्फिन
हाल ही में गंगा नदी डॉल्फिन को संरक्षित करने के उद्देश्य से पटना (बिहार) में भारत के पहले राष्ट्रिय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र का उद्देश्य किया गया है.
राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (NDRC)
- राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (NDRC) की स्थापना घटना (बिहार) में गंगा नदी के तट पर किया गया है.
- इस परियोजना की वर्ष 2013 में मंजूरी दे दी गयी थी, जिसका उद्देश्य विज्ञानिको व शोधकर्ताओ की सहायता करना है जिससे कि वे गंगा डॉल्फिन का व्यापक अध्ययन कर सके.
- इससे लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा.
- साथ ही यह डॉल्फिन संरक्षण के तरीकों पर मछुआरों को प्रशिक्षित भी करेगा.
गंगा नदी डॉल्फिन
- गंगा नदी डॉल्फिन भारत की राष्ट्रिय जलीय जीव है. इसे आमतौर पर ‘सूस’ के नाम से जाना जाता है.
- इसे ‘टाइगर ऑफ़ गंगा’ भी कहा जाता है.
- यह भारतीय उपमहाद्वीप की एक स्थानिक प्रजाति है जो गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना तथा कर्णफुली-सांगू नदियों में पायी जाती है.
विशेषताएँ
- गंगा नदी डॉल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है, जिसकी प्राण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है.
- गंगा नदी डॉल्फिन केवल मीठे जल में पायी जाती है.
- ये शिकार करने के लिए पराश्रव्य ध्वनियों का प्रयोग करती है.
- इनके सिर के ऊपर एक लम्बा चीरा इनके नाक का काम करता है.
- इनका शारीरिक बनावट – लम्बा पतला थूथन, मजबूत शारीर व गोल पेट.
- मादा डॉल्फिन, नर डॉल्फिन से बड़ी होती हैं, जो हर 2-3 साल में एक बच्चे को जन्म देती है.
डॉल्फिन संरक्षण के लिए की गई पहले:
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन
- यह प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर शुरू किया गया गंगा नदी डॉल्फिन विशेष संरक्षण उपाय है.
- यह वर्ष 2019 में शुरू किया गया .
- विक्रमशीला गंगा डॉल्फिन वन्यजीव का एकमात्र डॉल्फिन अभ्यारण्य है.
राष्ट्रीय जलीय जीव:
5 अक्टूबर, 2009 को इसे भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया.
प्रमुख खतरे:
- अवैध शिकार
- आवास का ह्रास
- प्रदूषण और बांध निर्माण
- अत्यधिक दोहन
- जलवायु परिवर्तन