इंटरनेट शटडाउन (Internet Shutdown)
हाल ही में एक्सेस नाउ ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि वर्ष 2023 में भारत में 116 बार इंटरनेट शटडाउन की घटना दर्ज की गई है, जो लगातार छठे वर्ष दुनिया में सबसे अधिक है।
इंटरनेट शटडाउन, इंटरनेट सेवाओं में जानबूझकर किया गया व्यवधान है, जिससे वे किसी विशिष्ट आबादी या स्थान के लिए अनुपलब्ध हो जाते हैं। इससे प्रभावित लोग ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग नहीं कर सकते, जैसे- सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर सकते, वेबसाइटों तक पंहुच बाधित हो जाती है, इत्यादि।
इंटरनेट शटडाउन के लिए प्रावधान-
- वर्तमान में इसे भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत अधिसूचित दूर संचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन नियम, 2017 द्वारा शासित किया जाता है। इसके तहत एक विशेष क्षेत्र में पब्लिक इमरजेंसी के आधार पर एक बार में 15 दिनों तक दूर संचार सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद कर देने की अनुमति दी जाती है।
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत केन्द्र सरकार अलग-अलग दूरसंचार को विनियमित करने तथा उनके लिए लाइसेंस देने का अधिकार रखता है।
- अस्थायी निलंबन का आदेश केवल संघ/राज्य गृह सचित्र द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
- दूर संचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन नियम, 2017 के तहत केन्द्रीय स्तर पर कैबिनेट सचिव तथा राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समीक्षा समिति द्वारा इंटरनेट बंद करने के आदेशों की समीक्षा की जाती है।
इंटरनेट शटडाउन के लिए उत्तरदायी कारण-
- राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- नागरिकों की सुरक्षा।
- सामाजिक अशांति को बढ़ने से रोकना, जैसे- 2018 का भीमा-कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ के जश्न के दौरान हुई घटना।
- धोखाधड़ी को रोकना, जैसे-2021 में शिक्षक पात्रता परीक्षा में हुई धोखाधड़ी।
- सुरक्षा और लोक व्यवस्था, जैसे- मणिपुर में हुई नृजातीय हिंसा को रोकने के लिए इंटरनेट शटडाउन।
अनुराधा भारतीय बनाम भारत संघ एवं अन्य वाद (2020) में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय-
- 2017 के नियम के तहत इंटरनेट सेवाओं/दूरसंचार सेवाओं को अनिश्चित काल तक के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता।
- इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का कोई भी आदेश आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुरूप होना चाहिए।
- इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का कोई भी आदेश न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
इंटरनेट शटडाउन का प्रभाव-
- जून, 2023 के बीच विदेशी निवेश के मामले में 118 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
- यह सूचना तक पहुँच को बांधित करता है जो वाक् व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करता है।
- ऑनलाइन सेवाओं जैसे- एजुकेशन सेवायें, स्वास्थ्य सेवायें आदि तक पहुँच बनाने में रूकावट पैदा करता है।
- यह जवाबदेहिता को सीमित करता है।
- यह लोगों को अन्य दुनिया से अलग करता है, जिससे मन में संदेह की भावना पैदा होती है। जिससे हिंसक हड़ताल जैसी घटनाएं घटित होती हैं।
- शटडाउन के चलने संचार बाधिक होने से अर्ली वार्निंग जारी करने तथा बचाव या राहत से जुड़ी सूचना के प्रसार में बाधा पैदा होती है। जैसे- म्यांमार में चक्रवात मोचा (वर्ष 2023) के प्रभावों का गंभीर रूप।