RHUMI-1
चर्चा में क्यों?
- भारत का पहला रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट RHUMI-1 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है ।
- चेन्नई के थिरुविदंधई से मोबाइल लॉन्चर के जरिए रॉकेट की लॉन्चिंग हुई। रॉकेट को तमिलनाडु बेस्ड स्टार्टअप स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप ने मिलकर बनाया है।
RHUMI-1 के बारे में
- यह अपनी नवोन्मेषी हाइब्रिड प्रणोदन प्रणाली के लिए जाना जाता है, जो तरल और ठोस ईंधन दोनों के फायदों को जोड़ती है।
- RHUMI – 1 का हाइब्रिड डिज़ाइन, जो ठोस प्रणोदक और तरल ऑक्सीडाइज़र का उपयोग करता है, केवल दहन के दौरान इन घटकों को मिलाकर आकस्मिक विस्फोट के जोखिम को कम करता है।
- हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 के जरिए 3 क्यूब सैटेलाइट और 50 PICO सैटेलाइट को सबऑर्बिटल ट्रैजेक्टरी में भेजा गया। ये सैटेलाइट ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से जुड़े रिसर्च के लिए डेटा इकट्ठा करेंगे।
- RHUMI 1 रॉकेट जेनेरिक फ्यूल बेस्ड हाइब्रिड मोटर और इलेक्ट्रिकली ट्रिगर पैराशूट सिस्टम से लैस है। रॉकेट को फ्लेक्सिबिलिटी और रियूजेबल पर फोकस करते हुए खास तरह से डिजाइन किया गया है।
- रॉकेट के साथ अंतरिक्ष में भेजी गईं तीन क्यूब सैटेलाइट्स एटमॉस्फियर कंडीशन जैसे कॉस्मिक रेडिएशन, यूवी रेडिएशन और एयर क्वालिटी की समीक्षा कर सकेंगी।
रॉकेट के कंपोनेंट समुद्र में सुरक्षित लैंड करने में सक्षम
- हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 में इको-फ्रेंडली और कॉस्ट इफेक्टिव मैकेनिज्म है।
- इसमें CO2 ट्रिगर पैराशूट सिस्टम लगा है। इसकी मदद से रॉकेट के कंपोनेंट सुरक्षित समुद्र पर वापस लैंड कर सकते हैं।
- इससे अंतरिक्ष लॉन्च की लागत कम होगी।
- रॉकेट के कंपोनेंट्स को आसानी से रिकवर किया जा सकता है। रॉकेट का एयर फ्रेम कार्बन फाइबर, ग्लास फाइबर से बना है।
अरलम वन्यजीव अभयारण्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केरल के कन्नूर जिले के अरलम वन्यजीव अभयारण्य में चार बंदर मृत पाए गए, जिससे वन्यजीव अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई।
अरलम वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
- यह पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों पर स्थित है और यह केरल का सबसे उत्तरी वन्यजीव अभयारण्य है।
- यह वायनाड-ब्रह्मगिरी, वायनाड उत्तरी ढलानों और कर्नाटक राज्य के संरक्षित क्षेत्रों अर्थात् ब्रह्मगिरी वन्यजीव अभयारण्य और कूर्ग के जंगलों से सटा हुआ है।
गठन : 1984 के दौरान अभयारण्य घोषित किया गया
जलवायु : तापमान 110C से 400ºC तक भिन्न होता है
स्थलाकृति : ऊँचाई 650 से 1150 मीटर तक होती है।
वर्षा : वर्षा 3700 से 5000 मिमी तक होती है।
जल निकासी : चीन्कन्नीपुझा दक्षिणी ओर मुख्य जल निकासी प्रणाली बनाती है। उत्तरी ऊपरी इलाकों से नारिक्कदावु थोडु, कुरुक्काथोडु और मीनुमुट्टीथोडु दक्षिण की ओर बहकर चीन्कन्नीपुझा में मिल जाते हैं।
वन प्रकार : वन प्रकारों में पश्चिमी तट उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन शामिल हैं। , पश्चिमी तट के अर्ध-सदाबहार वन, दक्षिण भारतीय नम पर्णपाती वन, दक्षिणी पहाड़ी पर सदाबहार वन और वृक्षारोपण ।
जैव विविधता : प्रमुख वृक्ष प्रजातियाँ हैं आर्टियोकार्पस हेटरोफिलस, बिशोफिया जावानिका, कैलोफिलम एलाटम, कैनेरियम स्ट्रिक्टम, कुलेनिया एक्सारिलिटा, डिप्टरोकार्पस एसपी, ड्रायपेटेस एलाटा, डायसॉक्सिलम मालाबारिकम, एलेओकार्पस ट्यूबरकुलैटस, होलीगर्ना अर्नोटियाना, मेसुआ फेरिया, पाल एन्क्विअम एलिप्टिकम बॉम्बेक्स सीइबा, डालबर्गिया लैटिफोलिया, ग्रेविया टिलियाफोलिया, टर्मिनलिया एसपी आदि।